धनतेरस 2019 – Dhanteras ki Puja Kaise Kare – Dhanteras ki Puja Vidhi

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धनतेरस 2019

Dhanteras ki Puja Kaise Kare

धनतेरस Friday, 50 October, 2019

आप सभी को सपरिवार दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं आपके जीवन को दीपावली का दीपोत्सव सुख समृद्धि सौहार्द शांति तथा अपार खुशियों की रोशनी से जगमग करें नमस्कार दोस्तों Hindi.trade मैं आपका स्वागत है

धनतेरस 2019 - Dhanteras ki Puja Kaise Kare - Dhanteras ki Puja

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था अतः इस दिन को धनतेरस के नाम से जाना जाता है धनतेरस की पूजा शुभ मुहूर्त में करना श्रेष्ठ माना गया है 5 दिनों तक चलने वाले महा पर्व दीपावली का प्रारंभ धनतेरस के त्यौहार से होता है Dhanteras सुख धन तथा समृद्धि का त्यौहार माना जाता है

इस दिन चिकित्सा के देवता धनवंतरी की पूजा की जाती है तथा अच्छे स्वास्थ्य की भी कामना की जाती है स्कंद पुराण के अनुसार देवताओं तथा राक्षसों के बीच समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु देवताओं को अमर करने हेतु भगवान धन्वंतरी के रूप में प्रकट होकर कलश में अमृत लेकर समुद्र से निकले थे

अतः भगवान धनवंतरी की पूजा करने से माता लक्ष्मी जी भी अत्यंत प्रसन्न होती है भगवान धन्वंतरी की चार भुजाएं हैं जिनमें से दो भुजाओं में वे शंख तथा चक्र धारण किए हुए हैं तथा दूसरी दो भुजाओं में औषधि के साथ अमृत का कलश धारण किए हुए हैं

समुद्र मंथन के समय अत्यंत दुर्लभ तथा कीमती वस्तुओं के अलावा शरद पूर्णिमा का चंद्रमा कार्तिक द्वादशी के दिन कामधेनु गाय त्रयोदशी को धन्वंतरी तथा कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को भगवती मां लक्ष्मी जी का समुद्र से अवतरण हुआ था

Dhanteras के दिन लक्ष्मी मां की पूजा प्रदोष काल के समय करनी श्रेष्ठ मानी गई है प्रदोष काल सूर्यास्त के पश्चात प्रारंभ होता है तथा 2 घंटे 22 मिनट तक व्याप्त रहता है

धनतेरस के दिन चांदी खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि चांदी चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है तथा चंद्रमा शीतलता का प्रतीक है अतः चांदी खरीदने से मन में संतोष रूपी धन का वास होता है अतः जिसके पास संतोष है वह व्यक्ति स्वस्थ सुखी तथा धनवान है

ऐसा माना जाता है कि पीतल भगवान धन्वंतरी को प्रिय धातु है क्योंकि अमृत का कलश पीतल का बना हुआ था अतः धनतेरस के दिन पीतल खरीदना भी शुभ माना गया है

मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु शुभ फल प्रदान करती है तथा लंबे समय तक कार्यरत रहती है तथा शुभ एवं मंगल दायक फल प्रदान करती है मान्यता यह भी है कि इस दिन सूखे धनिए के बीच खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धनसंपदा में वृद्धि करता है

Dhanteras के पर्व पर देवी लक्ष्मी जी तथा धन के देवता कुबेर के पूजन की परंपरा के साथ-साथ देवता यम को दीपदान करके पूजा करने का भी विधान है माना जाता है कि धनतेरस के त्यौहार पर यम देव की पूजा करने से असमय मृत्यु का भय नष्ट हो जाता है अतः यम देव की पूजा करने के पश्चात घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख वाला एक दीपक पूरी रात्रि जलाना चाहिए

Dhanteras ki Puja Vidhi – धनतेरस की पूजा कैसे करें

आज हम आपको बताएंगे Dhanteras के पूजन की सही विधि तथा धन प्राप्ति मंत्र धनतेरस पूजा विधि घर के पूर्व दिशा या घर के मंदिर के पास साफ सुथरी जगह पर गंगाजल का छिड़काव करें एक लकड़ी के पीढ़े पर रोली के माध्यम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं उसके पश्चात एक मिट्टी के दिए को उस पीढ़े पर रखकर प्रज्वलित करें

दिए के आसपास तीन बारी गंगाजल का छिड़काव करें दिए पर रोली का तिलक लगाएं उसके पश्चात तिलक पर कुछ चावल रखें इसके पश्चात ₹1 का सिक्का दिए में डाल दें दिए पर थोड़े पुष्प अर्पित करके दीए को प्रणाम करें परिवार के सभी सदस्यों को तिलक लगाएं उस दिए को अपने घर के प्रवेश द्वार के समीप रखें

उसे दाहिने और रखे तथा यह ध्यान देगी दिए किलो दक्षिण दिशा की तरफ हो इसके पश्चात यम देव की पूजा हेतु मिट्टी का दिया जलाएं तथा धनवंतरी पूजा घर में करें तथा आसन पर बैठकर धन्वंतरी मंत्र ॐ धन धनवन्तराय नमः का 108 बार या यथासंभव जाप करें तथा ध्यान लगाकर यह आह्वान करें कि यह धन्वंतरी देवता में यह मंत्र का उच्चारण आपके चरणों में अर्पित करता हूं

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धनवंतरी पूजा के पश्चात भगवान गणेश तथा माता लक्ष्मी की पंचोपचार पूजा करने अनिवार्य है भगवान श्री गणेश तथा माता लक्ष्मी हेतु मिट्टी के दीए प्रज्वलित करें तथा धूप जलाकर उनकी पूजा करें भगवान गणेश तथा माता लक्ष्मी के चरणों में फूल चढ़ाएं तथा मिठाईयों का भोग लगाएं इसके पश्चात शुभ मुहूर्त में घर की तिजोरी में 13 दीपक जलाकर कुबेर जी का पूजन करना चाहिए

देव कुबेर का ध्यान करते हुए भगवान कुबेर को फूल चढ़ाएं तथा उनका ध्यान लगाकर यह आह्वान करें कि हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले गरुड़ मणि के समान आभा वाले दोनों हाथों में गदा व वर धारण करने वाले सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृत शरीर वाले भगवान शिव के प्रिय मित्र देव कुबेर का मैं ध्यान करता हूं

इसके पश्चात धूप दीप नैवेद्य से पूजन करके यह मंत्र का उच्चारण करें यशाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपत्य धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा

इसके पश्चात सात धान्य गेहूं उड़द मूंग चना जों चावल तथा मसूर के साथ भगवती का पूजन करना लाभकारी माना गया है पूजन सामग्री में विशेष रूप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प का प्रयोग करना उचित है इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिए भोग के रूप में श्वेत मिष्ठान का प्रयोग करें जिससे आपको स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है

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