Qutub Minar Ka Itihas – Qutub Minar Ki History

Qutub Minar – हेलो दोस्तों क्या आप क़ुतुब मीनार के बारे में जानना चाहते हो तो चलिए मैं आपको मीनार क़ुतुब के बारे में कुछ जानकारी देता हूँ क़ुतुब मीनार जानकारी में आपका स्वागत है

Qutub Minar Ka Itihas - Qutub Minar Ki Historyकुतुब मीनार के बारे में पहले कुछ जान लेते हैं लेते हैं कि कुतुबमीनार कांप्लेक्स में क्या-क्या है यहां पर कुवत उल इस्लाम मस्जिद है अलाउद्दीन खिलजी का मकबरा है लोहे का विजय स्तंभ है अलाई दरवाजा है इमाम शामिल का मकबरा है इल्तुतमिश का मकबरा है चिराग दान और खिलजी द्वारा बनाया गया लेकिन अधूरा ही अलाई मीनार है

चलिए मैं आपको कुतुबमीनार बारे में बताता हूँ ,कुतुब मीनार दिल्ली (Delhi) के महरौली में स्थित है येलो लाइन मेट्रो के कुतुब मीनार स्टेशन से डेढ़ किलोमीटर दिल्ली एयरपोर्ट से 13 किलोमीटर न्यू दिल्ली स्टेशन से 14 से 15 किलोमीटर दूरी पर है

Qutub Minar परिसर में पहुंचने के बाद आपको सबसे पहले एंट्री पास टिकट लेनी होगी भारतीय पर्यटकों के लिए ₹30 और विदेशी पर्यटकों के लिए ₹1000 देने होंगे पास मिलने पर ही आपको कुतुब परिसर में प्रवेश मिलेगा QR-Code वाले के पास इस गेट पर चैक किए जाते हैं

अंदर प्रवेश करने के बाद दाई और एक मस्जिद है कहते हैं कि यह भारत की सबसे पुरानी मस्जिद है भारत के कोने-कोने से आए लोग साथ ही दुनियाभर के पर्यटकों के लिए कुतुब मीनार एक लुभावना पर्यटन स्थल है यहां तकरीबन हर साल दुनिया भर से 30 लाख लोग विजिट करते हैं

उस लुभावने विभाग इतिहास की कुछ पंक्तियां यहां पत्थरों पर अंकित की गई है जिसे पढ़कर लोग इतिहास में थोड़ी देर के लिए गोता लगा लेते हैं कुतुबमीनार की चारों ओर एक दीवार बनी हुई है जिस के अंदरूनी भाग पर पत्थर के बने बड़े-बड़े खंभों पर एक इमारत खड़ी है जो आज भी अपने मजबूती का प्रदर्शन कर रही है

कुतुबमीनार को गुलाम घराने के और दिल्ली के पहले सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनाया था उसने इसकी न्यूज़ 12 वीं सदी में रखी कुतुबमीनार का नाम कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर है या फिर उस वक्त के एक सूफी संत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर है

इस बारे में इतिहासकारों में दोगली राय है कुतुबमीनार (Qutub Minar) करीब साडे 72 मीटर ऊंचा है और इसका व्यास साडे 14 मीटर है इसके करीब 5 मंजिल है जिसमें स्टार बलुआ पत्थर और एक संगमरमर से बना है

क़ुतुब मीनार पर चढ़ने के लिए उसके अंदर करीब 379 सीढ़ियां है यह कुतुबमीनार का प्रवेश द्वार है लेकिन आम जनता के लिए इसका प्रवेश मना है कुतुब मीनार के दाई और अलाई दरवाजा है जो कि कुतुबमीनार का प्रवेश द्वार भी है इस पर किया गया कार्य करीब 12 वीं सदी के विशेष वास्तुशिल्प का उत्कृष्ट नमूना है

इसका प्रवेश इसका गुम्मट और इसके अंदरूनी दीवारों पर की गई नक्काशी पर्यटकों का मन मोह लेती है अलाई दरवाजा के निकट ही एक और सूफी संत इमाम जामीन का मकबरा है छोटी सी परंतु बड़ी ही सुंदर इमारत है इसके दीवारों पर अरेबिक में उस वक्त के लिखावट भी देखने को मिलती है

बगीचे में स्थित यह चिराग दान अभी भी अच्छी हालत में है उसका इस्तेमाल उस समय मशाल जलाने के लिए किया जाता था कुतुब मीनार के बाहरी परिसर में एक बेहद ही खूबसूरत बगीचा है अलग-अलग तरह के फूल बगीचे की शोभा बढ़ाते हैं पेड़ों के नीचे बैढ़कर कुतुबमीनार का आनंद उठाते हैं

कुतुब मीनार में मीनार का मकबरा है इस इमारत के अभी कुछ अवशेष ही बाकी है और इन्हीं के बीच स्थित है भारतवर्ष के और सुल्तान का मकबरा अलाउद्दीन खिलजी का मकबरा

कुतुबमीनार दुनिया का सबसे ऊंचा मीनार है यह भारतीय और इस्लामिक वास्तु इन्होंने 12 वीं सदी में बनाया था इसकी नींव भले ही कुतुबुद्दीन ऐबक ने रखी हो लेकिन उसके उत्तराधिकारी ने ही पूर्ण किया है कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद मीनार का काम उसका दामाद दिल्ली का नया सुल्तान इल्तुतमिश ने पूर्ण किया कुतुबुद्दीन ऐबक ने पहले ही मंजिल बनाई थी

उसके बाद उसकी बाकी तीन मंजिला इल्तुतमिश ने पूर्णा की लेकिन 14 वी सदी में भी लिया और भूकंप की वजह से कुतुबमीनार को काफी नुकसान हुआ और उसकी ऊपरी मंजिल टूट गई

उस वक्त के दिल्ली के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने उस टूटी हुई मंजिल को हटाकर उसकी जगह दो नई मंजिलों का निर्माण किया उसने बलुआ पत्थर के साथ-साथ संगमरमर का भी इस्तेमाल किया कुतुबमीनार को आज का मजबूत रूप दिया

उसके बाहरी आवरण पर अरेबिक भाषा की लिखावट अंकित की गई है कुतुब मीनार के बाई और कुवत उल इस्लाम मस्जिद है उस मस्जिद को कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनाया था उसके निर्माण ही करीब 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर उनके अवशेष इस्तेमाल किए गए हैं

हिंदू और जैन देवी देवताओं के मूर्ति शिल्प अभी भी मस्जिदों के स्तंभ पर देखे जा सकते हैं कुआं ताल इस्लाम मॉस्की बीचो-बीच लोहे का विजय स्तंभ स्थित है इसकी खासियत यह है कि इसे कभी भी जंग नहीं लगता बलुआ पत्थरों पर की हुई कलाकारी उल्लेखनीय है पत्थरों पर किया हुआ है नक्षिका आपको उस पर अपनी उंगलियां खेलने के लिए मजबूर कर देगा

कुतुब मीनार के पीछे के विभाग में इल्तुतमिश का मकबरा है इस इमारत की छत टूटी हुई है लेकिन इसके दीवारों पर की गई नक्काशी अभी भी उसी ढंग में जीवित है जैसे ढंग में इसे बनाने वालों ने बनाया था उस इमारत के बीचो-बीच संगेमरमर की कब्र में चिर निद्रा में सोया हुआ है

इस मकबरे के बाहर खिलजी द्वारा बनाया हुआ दूसरा एक मीनार है जिसे अलाई मीनार कहते हैं इसे कुतुब मीनार से दुगना बनाने की योजना थी लेकिन खिलजी की मृत्यु के बाद उसकी उसका काम आगे नहीं बढ़ाया और वह अधूरा ही रह गया इसे हम जान गए हैं कि लोगों की भावनाएं नहीं बल्कि उनके इतिहास बनाते हैं

तो दोस्तों ये थी Qutub Minar की जानकारी in Hindi, आज के लिए इतना ही अगर आप को हमारी पोस्ट पसंद आई हो तो कमेंट जरूर करे धन्यवाद.

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